पारिस्थितिक संतुलन को कायम रखने के लिए हिल्सा टैगिंग, डॉल्फिन संरक्षण और भारतीय मेजर कार्प रैंचिंग के माध्यम से आईसीएआर-सिफ़री ने राष्ट्रीय मिशन के तहत अभिनव दृष्टिकोण अपनाया
फरक्का , 22 अक्टूबर, 2022
भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने फरक्का में एनटीपीसी, फरक्का के सहयोग से गंगा नदी में स्वदेशी मछली प्रजातियों के संरक्षण और बहाली की दिशा में भारतीय मेजर कार्प (आईएमसी) रैन्चिंग, हिल्सा सह डॉल्फिन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। 22 अक्टूबर 2022 को स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (नमामी गंगे) के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित हुआ और इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री आर.डी.देशपांडे, महाप्रबंधक, फरक्का बैराज प्राधिकरण द्वारा किया गया। कार्यक्रम में श्री अभिजीत कुमार, डीजीएम (ईएनजी) एनटीपीसी, श्री संदीप कुमार, एस.ई., एफबीए, डॉ. दीपक नायक (प्रभारी, आईसीएआर-सीआईएसएच क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन, मालदा) और डॉ.शैलेश कुमार, एसएमएस, केवीके मालदा उपस्थित थे। इस अवसर पर हिल्सा टैगिंग एवं रैन्चिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गंगा नदी में 80,000 से अधिक भारतीय प्रमुख कार्प के अंगुलिमीनों का रैन्चिंग किया गया। इसके साथ ही राष्ट्रीय मिशन के एक हिस्से के रूप में फरक्का बैराज के ऊपरी हिस्से में हिलसा का टैगिंग और रैन्चिंग किया गया। 2018 से एनएमसीजी और एनटीपीसी की सीएसआर गतिविधियों के तहत गंगा नदी के फरक्का खंड में 5 लाख से अधिक अंगुलिमीनों और 78,000 हिल्सा की रैन्चिंग की गई। इसके अलावा हिलसा रैन्चिंग स्टेशन फरक्का में एक जन जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें 100 से अधिक मछुआरों ने भाग लिया और गंगा नदी में हिल्सा और डॉल्फिन संरक्षण, भारतीय प्रमुख कार्प प्रजनन और अंगुलिमीनों के प्रतिपालन के बारे में उन्हें जागरूक किया गया। श्री आर.डी. देशपांडे, महाप्रबंधक, एफबीए ने एनएमसीजी परियोजना के विकास पर प्रसन्नता व्यक्त की और मछुआरों से छोटे आकार के हिल्सा और अन्य मछली प्रजातियों को न पकड़ने का आग्रह किया। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि पहले के दिनों में आगरा, कानपुर और दिल्ली में हिलसा उपलब्ध थी पर फिर वह घटने लगी। उन क्षेत्रों में फिर से हिलसा को पुनःस्थापित करने की कौशिश करनी चाहिए। उन्होनें हिल्सा और डॉल्फ़िन संरक्षण की दिशा में आईसीएआर-सिफ़री द्वारा की गई पहल की भी प्रशंसा की। श्री अभिजीत कुमार, उप महाप्रबंधक (पर्यावरण), एनटीपीसी ने कार्यक्रम के पहले वर्ष में 50,000 भारतीय प्रमुख कार्प की अंगुलिमीनों की रैन्चिंग पर प्रसन्नता व्यक्त की। श्री. कुमार ने मछुआरों से भारतीय प्रमुख कार्प पालन के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध किया ताकि व्यक्तिगत रूप से मछुआरों को लाभ मिल सके और उनकी आजीविका में सुधार हो सके। सिफ़री के निदेशक और परियोजना के पीआई डॉ. बसंत कुमार दास ने स्वागत भाषण में एनएमसीजी कार्यक्रम के तहत गंगा नदी में हिल्सा और डॉल्फिन संरक्षण की दिशा में सिफ़री द्वारा ली गई पहल पर प्रकाश डाला। इसके अलावा, डॉ. दास ने गंगा नदी में भारतीय प्रमुख कार्प की संख्या में सुधार के लिए गंगा से ब्रूडस्टॉक संग्रह, प्रजनन, अंगुलिमीनों के पालन की दिशा में उठाए गए कदम को विस्तार से बताया। एनटीपीसी के सीएसआर फंड के तहत ये गतिविधियां न केवल पर्यावरणीय संतुलन पर ध्यान केंद्रित करती हैं बल्कि भारतीय प्रमुख कार्प के प्रजनन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से स्थानीय गरीब मछुआरों की आजीविका में सुधार पर भी ध्यान केंद्रित करती हैं। डॉ. दास ने यह भी कहा कि सिफ़री जल्द ही केवीके, मालदा के सहयोग से भारतीय प्रमुख कार्प के प्रजनन और लार्वा पालन पर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए फरक्का में एक पोर्टेबल एफआरपी कार्प हैचरी स्थापित करने जा रहा है।परियोजना के वरिष्ठ वैज्ञानिक और सह-पीआई डॉ. अमिय कुमार साहू ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन के तहत फरक्का की परियोजना गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। डॉ. दीपक नायक, प्रभारी वैज्ञानिक, भाकृअनुप-सीआईएसएच क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन, मालदा ने किसानों के प्रशिक्षण और आजीविका सुधार में केवीके की भूमिका पर प्रकाश डाला और मछुआरों से एनटीपीसी सीएसआर कार्यक्रम के तहत मछली प्रजनन प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने का आग्रह किया। इस कार्यक्रम के साथ ही आईसीएआर-सिफ़री, एफबीए, एनटीपीसी और केवीके, मालदा के बीच हिल्सा रैन्चिंग, डॉल्फिन संरक्षण, मछुआरों को प्रशिक्षण, हैचरी सुविधाओं के विकास, और हिलसा के संरक्षण की नई दिशा में कार्य करने के लिए एक संयुक्त बैठक आयोजित की गई। गंगा नदी के डॉफिन संरक्षण, मछलियों और अन्य जलीय जीवों के संरक्षण की ओर भविष्य में ध्यान दिया जायगा और बैराज फिश पास को और अधिक परिचालन में लाने के प्रयास किए जाएंगे।



आगंतुक संख्या : StatCounter - Free Web Tracker and Counterअक्टूबर 2020 से

यह वेबसाइट भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संगठन से सम्बंधित है। कॉपीराइट @ 2010 आईसीएआर, यह वेबसाइट 2017 से कृषि ज्ञान प्रबंधन इकाई द्वारा विकसित और अनुरक्षित है।
अंतिम बार1 27/10/22 को अद्यतन किया गया