सिफरी ने संस्थान मुख्यालय, बैरकपुर, कोलकाता में दिनांक 17 मार्च 2022 को अपना 76वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक, डॉ बि के दास ने उपस्थित समस्त पदाधिकारियों और संस्थान कर्मियों का स्वागत किया तथा कहा कि संस्थान ने अपने अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से भारत में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्रांति की शुरुआत करने में अग्रणी भूमिका निभाई है जिससे देश को मछली के उत्पादन में 12 गुना की वृद्धि हुई है। संस्थान ने प्रेरित प्रजनन और मछली बीज उत्पादन पर तकनीक और प्रौद्योगिकियों को विकसित किया हैं, जैसे मिश्रित मत्स्य पालन; नदियों में मछली बीज संवर्धन और स्पॉन संग्रह; जलाशय और बाढकृत मैदानी झीलों में मात्स्यिकी प्रबंधन, मछलियों के मत्स्य बीजों को उनके मूलस्थान पर उत्पादन तथा पिंजरों और पेनक्षेत्र में बड़ी मछलियों का उत्पादन।
इस अवसर पर भारत सेवाश्रम संघ के सहायक सचिव, स्वामी महादेवानंद महाराज जी ने सभी को बांग्ला भाषा में संबोधित किया और कोरोना महामारी की कठिन अवधि के दौरान संस्थान के कार्यों की सराहना की। स्वामी जी ने कहा कि उन्होंने पिछले कई वर्षों से व्यक्तिगत रूप से सुंदरबन क्षेत्र के मत्स्य पालन विकास में संस्थान के योगदान को देखा है। उन्होंने एकीकृत मत्स्य पालन प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर दिया और इसके लिए सभी संस्थानों के बीच अधिक सहयोगात्मक कार्य की अपेक्षा की। उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के भाषण को उद्धृत करते हुए नवाचार और आविष्कार आम लोगों के हर दरवाजे तक पहुंचाने पर जोर दिया।
श्री राजीव कुमार, विशिष्ट अतिथि और महाप्रबंधक, धातु और इस्पात कारखाना, रक्षा मंत्रालय ने अपने संबोधन में पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में संस्थान के काम की सराहना की। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा विकसित तकनीक ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि में क्रांति ला दी है।
डॉ. ए. पी. शर्मा, संस्थान के पूर्व निदेशक ने स्थापना दिवस के अवसर पर सिफरी परिवार को बधाई दी और कहा कि इस संथान की स्थापना तब की गई थी जब भारत खाद्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं था। संस्थान स्वतंत्रता के बाद से राष्ट्र की सेवा कर रहा है और भारत में जलीय कृषि और अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान है। संस्थान की एक महत्वपूर्ण भूमिका पिंजरों में मछली उत्पादन करना है और अब समय आ गया है कि अधिक से अधिक मत्स्य प्रजातियों को पिंजरे में पालन किया जाए।
डॉ. गौरांग कर, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय पटसन और समवर्गीय रेशा अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने महामारी के पिछले दो वर्षों के दौरान संस्थान की विकासात्मक गतिविधियों की सराहना की। उन्होंने जल की घटती उपलब्धता जैसे गंभीर मुद्दों पर बात की और प्रति इकाई जल उत्पादकता बढ़ाने और कृषि गतिविधियों में जल की घटती उपलब्धता पर जोर दिया। उन्होंने स्वच्छ गंगा कार्यक्रम के तहत संस्थान को बधाई दी।
इस अवसर पर संथान में आयोजित वार्षिक खेल प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पदक मुख्य अतिथि और सम्मानित अतिथियों द्वारा प्रदान किए गए तथा संस्थान कर्मियों को चिकित्सा कार्ड वितरित किए गए। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।