सिफरी द्वारा सुंदरबन के साहेबखाली और आमतोली के अनुसूचित जाति के मछुआरों के लिए सामाजिक उत्थान और आजीविका विकास हेतु प्रयास

भाकृअनुप- केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) ने अनुसूचित जाति उप-योजना (एससीएसपी) कार्यक्रम के माध्यम से सुंदरबन क्षेत्र के अनुसूचित जाति के मछुआरों की सामाजिक-आर्थिक उन्नयन के लिए लगातार प्रयासरत है। इस क्रम में सिफरी ने दिनांक 25 और 26 नवंबर 2021 को सुंदरबन के साहेबखाली और आमतोली क्षेत्रों में यास चक्रवात प्रभावित लोगों के लिए दो जागरूकता-सह-आदान वितरण कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में डा. बि. के. दास, निदेशक, सिफरी ने दिनांक 25 नवंबर 2021 को साहेबखाली के 150 और दिनांक 26 नवंबर 2021 को आमतोली में 250 अनुसूचित जाति के मछुआरों को ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका विकास के महत्व पर संबोधित किया। निदेशक महोदय ने कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 4000 किलोग्राम चूना, 42000 किलोग्राम मछली चारा, 2200 किलोग्राम मत्स्य बीज और 80 लीटर मछली दवा वितरित की। डॉ. यू. के सरकार, प्रभागाध्यक्ष, जलाशय एवं आर्द्रक्षेत्र मात्स्यिकी ने अपने अभिभाषण में सतत मत्स्य प्रबंधन पर जोर दिया।
सुंदरबन क्षेत्र में नहरें मीठे पानी की प्रमुख स्रोत और मछली उत्पादन के लिए एक संभावित स्रोत मानी जाती हैं। पर अभी तक इस क्षेत्र में नहरों का उपयोग स्थायी मछली उत्पादन के लिए नहीं किया गया है। संस्थान के निदेशक ने सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से मत्स्य उत्पादन के लिए नहरों के समुचित उपयोग के लिए मछुआरों को जागरूक बनाया। उन्होंने सामुदायिक भागीदारी के महत्व पर जोर दिया क्योंकि ये नहरें 1.0 किमी से अधिक लंबी हैं और इनमें मत्स्य समुदाय के सहयोग से ही मत्स्य पालन विकसित किया जा सकता है। वितरित किए गए कुल मछली बीजों में से 200 किलोग्राम मछली बीज को दो नहरों में सतत मत्स्य पालन विकास के लिए छोड़ा गया था। स्थानीय सहयोग और समन्वय के लिए स्थानीय संस्था, सुंदरबन ड्रीम्स के सहयोग से कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

  

  

  




29/11/21 को अद्यतन किया गया


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