गंगा नदी मे जैव विविधता के संरक्षण के लिए नमामि गंगे की एक पहल

जैसा कि आप सभी लोगों को अवगत है कि गंगा की जैव विविधता खतरे के दौर से गुजर रही है पारिणाम स्वरूप हमारी गंगा नदी की देशी मछलिया विलुप्त होने के कगार पे पहुँच चुकी हैं । आज गंगा नदी अपने अस्तित्व के एक खतरनाक मोड़ से होकर गुजर रही है जिससे हजारो मछुआरो की जीविका और मानव सभ्यता के अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो गया है हम सिद्दत से इस मसले को महसूस करते है और इस वजह से हम गंगा के जैव विविधता संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत अपनी कटिबद्धता के प्रति सजग हैं । समस्या के समाधान के लिए हम बहुआयामी पहल से उसको मुकम्मल ठीक करना चाहते हैं । हम केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिको ने उन्नत प्रजातियों के कतला, रोहु और नैन के बीज का उत्पादन करते हैं और उनको गंगा नदी के अलग अलग भागों मे छोडते हैं। यह हमारे कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमे विश्वास है कि हम विलुप्त हो रही देशी प्रजातियों को पुनः मूल स्थिति मे लाने मे सक्षम होंगे । इसके अलावा हमारा यह सतत प्रयास है कि हम गंगा के पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ और बेहतर बनाये जिससे कि उसमे रह रहे जल जीव जंतुओं का संसार बेहतर तरीके से विकसित हो सके इसके लिए हम उन तमाम संस्थाओ से गुजारिश कर रहे है कि वो गंगा मे हो रहे प्रदूषण, फैक्टरियों और घरेलू गंदे पानी को गंगा नदी मे प्रवाहित करने से रोके । इस बात को प्रभावशाली बनाने के लिये गंगा नदी मे बने बैराज से समुचित मात्रा मे पानी अविरल छोड़ा जाये । इस मुद्दे को दिनांक 29 मार्च 2019 को हमारे संस्थान मे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली से आई हुई वरिष्ठ वैज्ञानिको की एक टीम जिसके अध्यक्ष डॉ सी, वासुदेवप्पा, डॉ एस॰ सी॰ पाठक, डॉ उषा मोझा, डॉ वी आर चित्रांशे और डॉ बी॰ के॰ बेहेरा के समक्ष गंभीरता से रखा गया । गहन विचार विमर्श के उपरांत टीम के सदस्यों ने दिनांक 30 मार्च 2019 को संगम नोज जाकर इस संस्थान के सभी वैज्ञानिकों के साथ 20000 उन्नत बीज की मछलियों को गंगा नदी मे प्रवाहित किया । इस अवसर पर इस संस्थान के विभागाध्यक्ष डॉ॰ रमा शंकर श्रीवास्तव ने टीम के चेयरमेन व सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए यह बताया कि हम इस तरीके से 19 रैंचिंग प्रोग्राम ऋषिकेश से लेकर कलकत्ता तक किए जा चुके हैं और हमारी कोशिश है कि इस पूरे साल मे एक करोड़ उन्नत बीजो को गंगा नदी मे प्रवाहित किया जाएगा और इसके साथ ही साथ हम गंगा के प्रदूषण पर नियंत्रण व गंगा की धारा को अविरल बनाने मे नीतिगत एजेन्सी के साथ मिलकर काम करेंगे । वक्ताओ मे टीम के सी॰ वासुदेवप्पा साहब ने गंगा को जीवंत रखने के लिए जल के प्रवाह की अविरलता पर खासा ज़ोर दिया और सुझाव दिया कि सरकार बैराजो द्वारा बाधित पानी की अविरलता को सुनिश्चित करे । वासुदेवप्पा साहब ने गंगा नदी की तमाम समस्याओ पर गहन शोध करने के लिए संस्थान के वैज्ञानिकों को सलाह दी । इस अवसर पर संस्थान के सभी वैज्ञानिक, शोध विध्यार्थी और समस्त स्टाफ ने रैंचिंग कार्यक्रम मे भाग लिया ।


  

  

  


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2016 Last updated on 23/08/2017